दिन आया, दिन गया
रात आई, रात गई
बीते वर्ष ना जाने
कितनी बातें गई
कितने रिश्ते पीछे छूटे
ना जाने कितने दिल टूटे
टूटे दिल के साथ जाने
तन्हा कितनी रातें गई
बीते वर्ष ना जाने
कितनी बातें गई
पर कुछ नए रिश्ते बने
कई पराए अपने बने
इस बेगाने ज़िंदगी में
नयी कितनी मुलाक़ातें हुई
बीते वर्ष ना जाने
कितनी बातें गई
अब है अपना वक़्त नया
फिर से एक नयी भोर हुई
नयी ज़िंदगी देख रही है
मुझे मुस्कुराती हुई
बीते वर्ष ना जाने
कितनी बातें गई
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